Kahi kahi se har chehara tum jaisa lagata hai..

कही कही से हर चेहरा तुम जैसा लगता है
तुमको भूल न पाएंगे हम ऐसा लगता है

ऐसा भी एक रंग है जो करता है बाते भी
जो भी इसको पहन ले वो अपना सा लगता है

तुम क्या बिछड़े भूल गए रिश्तो की शराफत हम
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है

अब भी यूं मिलते है हमसे फूल चमेली के
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है

और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी कभी यूं ही
चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है

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