Kanto ki chubhan payi.

काँटों की चुभन पायी फूलों का मज़ा भी,
दिल दर्द के मौसम में रोया भी हँसा भी,

आने का सबब याद न जाने की ख़बर है,
वो दिल में रहा और उसे तोड़ गया भी,

हर एक से मंजिल का पता पूछ रहा है,
गुमराह मेरे साथ हुआ रहनुमा भी,

‘गुमनाम’ कभी अपनों से जो गम हुए हासिल,
कुछ याद रहे उनमे तो कुछ भूल गया भी,

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