आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वहीं ख़ुदा देगा
मेरा क़ातिल ही मेरा मुन्सिफ़ हैं
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा
ज़िन्दगी को क़रीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
इश्क़ का ज़हर पी लिया 'फ़ाकिर'
अब मसीहा भी क्या दवा देगा
जो भी देगा वहीं ख़ुदा देगा
मेरा क़ातिल ही मेरा मुन्सिफ़ हैं
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा
ज़िन्दगी को क़रीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
इश्क़ का ज़हर पी लिया 'फ़ाकिर'
अब मसीहा भी क्या दवा देगा
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