Dukh apna agar hamko batana nahi aata

दुख अपना अगर हमको बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता ।

मैं भी उसे खोने का हुनर सीख ना पाया
उसको भी मुझे छोड़ के जाना नहीं आता ।

इस दौर-ए-सियासत में बड़े कैसे बनोगे
लोगों को जब आपस में लड़ाना नहीं आता ।

तारीख़ की आँखों में धुआं हो गए ख़ुद ही
तुम को तो कोई घर भी जलाना नहीं आत ।

 【 तारीख़ = इतिहास 】

पहुँचा है बुजुर्गों के बयानों से जो हम तक
क्या बात हुई, क्यूँ वो ज़माना नहीं आता

ढूंढें है तो पलकों पे चमकने के बहाने
आँसू को मेरी आँख में आना नहीं आता।।

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