Raat bhi Nind Bhi Kahana Bhi....

रात भी नींद भी कहानी भी
हाय, क्या चीज़ जवानी भी

इस अदा का तेरे जवाब नहीं
मेहरबानी भी सरगरानी भी

दिल को अपने भी ग़म थे दुनिया में
कुछ बलाएँ थी आसमानी भी

दिल को शोलों से करती हैं सेराब
ज़िन्दगी आग भी हैं पानी भी

लाख हुस्ने-यकीं के बढ़कर हैं
उन निगाहों की बदगुमानी भी

इश्के-नाकाम की हैं परछाईं
शादमानी भी, कामरानी भी

अपनी मासूमियों के परदे में
हो गयी वो नज़र सयानी भी

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