मुहब्बत का जब हमने छेड़ा फ़साना, तो गोरे से मुखड़े पे आया पसीना जो निकले थे घर से, तो क्या जानते थे, के यूँ धूप में आज बरसात होगी सुना था के वो आयेंगे अंजुमन में, सुना था के उनसे मुलाकात होगी हमे क्या पता था, हमे क्या खबर थी, ना ये बात होगी, ना वो बात होगी।
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