तुम तसल्ली ना दो सिर्फ बैठे रहो,
वक्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा,
क्या ये कम है मसिहा के रहने ही से,
मौत का भी इरादा बदल जायेगा।
रुख़ से पर्दा उठा दे जरा साकिया,
बस अभी रंग-ए-महफिल बदल जायेगा।
है जो बेहोश वो होश में आयेगा,
गिरने वाला है जो वो सम्भल जायेगा।
Hindi Hub
वक्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा,
क्या ये कम है मसिहा के रहने ही से,
मौत का भी इरादा बदल जायेगा।
रुख़ से पर्दा उठा दे जरा साकिया,
बस अभी रंग-ए-महफिल बदल जायेगा।
है जो बेहोश वो होश में आयेगा,
गिरने वाला है जो वो सम्भल जायेगा।
Hindi Hub
0 Comments