Charag-o-aafatab / चराग़-ओ-आफ़ताब गुम

चराग़-ओ-आफ़ताब गुम, बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब गुम, बड़ी हसीन रात थी

मुझे पिला रहे थे वो, कि खुद ही शमा बुझ गई
गिलास गुम शराब गुम, बड़ी हसीन रात थी

लिखा था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब गुम, बड़ी हसीन रात थी

लबों से लब जो मिल गए, लबों से लब ही सिल गए
सवाल गुम जवाब गुम, बड़ी हसीन रात थी



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