Be sabab baat badhane

बे सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है,
हम खफा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है,

आप के दम से तो दुनिया का भरम है कायम,
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है,

तेरा कूचा, तेरा डर, तेरी गली काफी है,
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है,

दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में,
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है,

रंग आंखों के लिए, बू है दिमागों के लिए,
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है,

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