Ye inayate Gazab ki, Ye bala ki meharabani

ये इनायतें ग़ज़ब की, ये बला की महरबानी
मेरी ख़ैरियत भी पूछि, किसी और की ज़ुबानी

मेरी बेज़ुबान आँखों से, ये गिरे हैं चंद क़तरे
वो समझ सकें तो आँसू, न समझ सकें तो पानी

तेरा हुस्न सो रहा था मेरी छेड़ ने जगाया
वो निगाह मैं ने डाली, कि सँवर गयी जवानी

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ये घट बता रही है, कि बरस चुका है पानी

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