Jindagi kaisi hai ye / जिंदगी कैसी है ये पहेली हाय

ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये

कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे-पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही, चला जाये सपनो के आगे कहाँ
ज़िन्दगी कैसी है पहेली ।।

जिन्होंने सजाये यहाँ मेले, सुख-दुःख संग-संग झेले
वही चुनकर खामोशी, यूँ चले जाएँ अकेले कहाँ
ज़िन्दगी कैसी है पहेली ।।।।

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