Mere rashk-e-qamar / मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र

मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया…

बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी
आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया
जाम में घौल कर हुस्न की मस्तियाँ
चांदनी मुस्कुराई मज़ा आ गया

चाँद के साए में ऐ मेरे साकिया
तू ने ऐसी पिलाई मज़ा आ गया

नशा शीशे में अंगड़ाई लेने लगा
बज़्म रिन्दान में सागर खनकने लगा
मैकदे पे बरसने लगी मस्तियाँ
जब घटा गिर के छाई मज़ा आ गया

वो बे हिजबाना वो सामने आ गए
और जवानी जवानी से टकरा गयी
और जवानी जवानी से टकरा गयी
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से
देख कर ये लड़ाई मज़ा आ गया

मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

आँख में ठी हया हर मुलाक़ात पर
सुर्ख आरिज़ हुए वसल की बात पर
सुर्ख आरिज़ हुए वसल की बात पर
उसने शर्मा के मेरे सवालात पे
उसने शर्मा के मेरे सवालात पे
ऐसे गर्दन झुकाई मज़ा आ गया

मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी
आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया
जाम में घौल कर हुस्न की मस्तियाँ
चांदनी मुस्कुराई मज़ा आ गया

शिख साहिब का ईमान बिक ही गया
देख कर हुस-ए-साक़ी पिघल ही गया
आज से पहले ये कितने मगरुर थे
लुट गयी परसाई मज़ा आ गया

ऐ फ़ना शुकर है आज बाद-ए-फ़ना
उसने रख ले मेरे प्यार की आबरू
अपने हाथों से उसने मेरी क़बर पर
चादर-ए-गुल चढ़ाई मज़ा आ गया

मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया ।।

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